नई दिल्ली | नीलू सिंह
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को फर्जी ईमेल के जरिए बिल भेजकर चार करोड़ रुपये का चूना लगाने का मामला सामने आया है।
इस मामले में दल्लिी पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने सोमवार को धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर असम से चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ईमेल भेजने वाली एजेंसी एनआईसी के कुछ कर्मचारियों से भी पूछताछ कर रही है। दरअसल, नर्मिाण भवन स्थित केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का पब्लिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट सस्टिम है। इसके जरिए मंत्रालय के देशभर में फैले कार्यालयों के बिलों का भुगतान किया जाता है।
ये बिल ईमेल के जरिए मंत्रालय के पब्लिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट सस्टिम की वेबसाइट पर भेजे जाते हैं। ये ईमेल सरकारी संस्था एनआईसी द्वारा नर्धिारित प्रक्रिया के तहत तैयार करके भेजी जाती हैं। इसी प्रक्रिया के तहत बीते साल जुलाई से दिसंबर माह तक ईमेल के जरिए पुड्डुचेरी ऑफिस के नाम पर भेजे बिलों का भुगतान किया गया। अलग-अलग ईमेल से मिले बिलों का भुगतान बैंक ऑफ बड़ौदा में खोले गए खाते में किया गया। जब दिसंबर में धोखाधड़ी की बात सामने आई तो मंत्रालय की अधिकारी माया रावत ने आर्थिक अपराध शाखा में 27 दिसंबर को एफआईआर दर्ज कराई।
मामले की जांच के लिए इंस्पेक्टर विनोद गांधी के नेतृत्व में एसआई दीपक पांडेय की टीम को पता चला कि असम से इस वारदात को अंजाम दिया गया है। इसके बाद एसआई दीपक, एसआई सुशील एवं एसआई किशन की टीम असम के मोरीगांव जिले में पहुंची। पुलिस ने सर्विलांस की मदद से गिरोह के सरगना नूर मोहम्मद, फरीदुल इस्लाम, इमान फारुख एवं हारुन राचिद को गिरफ्तार कर लिया।
बताया जाता है किक चारों आरोपी दसवीं तक पढ़े हैं। ये मोरीगांव में आधार कार्ड बनाने का काम करते थे। इन्होंने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में छात्रवृत्ति घोटाला किया था। इसके बाद इन्होंने फर्जी पैन कार्ड एवं पहचान पत्र के जरिए बैंक खाता खोला। फिर इसका इस्तेमाल ठगी में किया। पब्लिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट सस्टिम की वेबसाइट पर मौजूद बिल भुगतान का वीडियो देखकर आरोपियों ने बिल भुगतान का तरीका जाना। फिर यू-ट्यूब से आगे की प्रक्रिया सीखी। यहीं से इन्हें पता चला कि बिल भुगतान एनआईसी की ईमेल आईडी के जरिए होता है।