बर्न। जैव विविधता को नुकसान होने से बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। इस कारण बच्चों में त्वचा और श्वास संबंधी संक्रमण बढ़ रहा है। इससे बच्चों के पढ़ने और खेलने-कूदने की क्षमता प्रभावित हो रही है। यूरोपीय सोसायटी फोर पीडीऐट्रिक रिसर्च के शोध में यह चिंताजनक तथ्य सामने आए हैं। यह अध्ययन नेचर पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन में कहा गया है कि छह महीने से लेकर 20 वर्ष के हजारों युवाओं के स्वास्थ्य डाटा का विश्लेषण किया गया। उन्होंने पाया, जिन बच्चों के घर के आसपास कृषि भूमि या जंगल नहीं हैं उनमें श्वसन संबंधी बीमारियों का खतरा 23 फीसदी तक अधिक हो सकता है।
अध्ययन के मुताबिक, जैव विविधता को नुकसान से जलवायु परिवर्तन तेजी से हो रहा है। धरती पर जरूरी सूक्ष्मजीव और हरियाली वाली जगहें कम हो रही हैं। दुनिया का तापमान बढ़ रहा है और हवा लगातार दूषित होती जा रही है। इसका सबसे ज्यादा असर बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर पड़ रहा है। जरूरी सूक्ष्मजीवों की संख्या घट जाने से मिट्टी की उर्वरता प्रभावित हो रही है। हरियाली वाली जगहें घटने से वायु की गुणवत्ता घट रही है। इन दोनों वजहों से बच्चों में त्वचा संबंधी और श्वास संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। दावा किया गया है कि मिट्टी और विभिन्न प्रकार की वनस्पति के संपर्क में नहीं होने से बच्चों की त्वचा में जरूरी सूक्ष्मजीवों की संख्या घट जाती है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए जरूरी होते हैं। अध्ययन में पाया गया कि सूक्ष्मजीवों की विविधता को नुकसान पहुंचना भोजन संबंधी एलर्जी को भी बढ़ावा दे रहा है, जिससे बच्चे जरूरी पोषक तत्वों से दूर होते जा रहे हैं।