सिर्फ साढ़े तीन माह में पहुंच जाएंगे मंगल के पास

अंतरराष्ट्रीय

न्यूयॉर्क। नासा एक परमाणु रॉकेट विकसित कर रहा है, जिससे पृथ्वी से मंगल ग्रह तक 100 दिनों में पहुंचा जा सकेगा। फिलहाल मंगल मिशनों के लिए जिन रॉकेटों का इस्तेमाल होता है, उनसे लाल ग्रह तक की दूरी 210 दिनों में तय होती है।जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में परमाणु इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर और नासा की इस परियोजना से जुड़े वैज्ञानिक डैन कोटलियार ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया, इस तकनीक का नाम न्यूक्लियर थर्मल प्रॉपल्शन (एनटीपी) है यानी नासा एक ऐसा रॉकेट बना रहा है, जिसमें परमाणु ईंधन का इस्तेमाल किया जाएगा। परमाणु रॉकेट पारंपरिक रॉकेटों की तुलना में दो गुना अधिक शक्तिशाली होंगे, जो आधे समय में 40 करोड़ किलोमीटर दूर मंगल ग्रह की यात्रा कर सकते हैं। हालांकि, उन्हें ऊर्जा देने वाले रिएक्टरों को डिजाइन करना सबसे बड़ी चुनौती है। डैन कोटलियार ने बताया, नासा और डिफेंस एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी संयुक्त रूप से एनटीपी तकनीक विकसित कर रहे हैं। वे 2027 में अंतरिक्ष में एक इससे संबंधित प्रोटोटाइप सिस्टम प्रदर्शित करने की योजना बना रहे हैं। यह न्यूक्लियर थर्मल प्रॉपल्शन तकनीक पर काम करेगा। इसमें एक न्यूक्लियर रिएक्टर होता है, जो लिक्विड हाइड्रोजन प्रॉपेलेंट को गर्म करता है। ऐसा करने पर प्लाज्मा बनेगा। यही प्लाज्मा रॉकेट के नॉजल से निकाला जाएगा, जिससे रॉकेट को आगे बढ़ने के लिए तेज गति मिलेगी। नासा द्वारा अब तक विकसित किए गए रॉकेट रासायनिक रूप से संचालित होते हैं। मौजूदा समय में परमाणु संचालित पनडुब्बियों में इसी प्रकार की तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। लेकिन अंतरिक्ष के क्षेत्र में इसको लेकर कई तकनीकी चुनौतियां हैं। नासा अगले 10 वर्षों में मंगल पर मानव मिशन भेजने की तैयारी कर रहा है। यदि समय रहते परमाणु रॉकेट तैयार कर लिया जाता है तो इससे मंगल की यात्रा का समय घट सकता है। फिलहाल नासा जिस तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है, उसमें अंतरिक्षयान को पृथ्वी से मंगल पर जाने के लिए सात से नौ महीने का समय लगता है। अगर इसी रफ्तार से इंसान को मंगल पर भेजेंगे, तो हर 26 महीने में एक रॉकेट मंगल के लिए उड़ान भर सकेगा।

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