इंफाल। इंफाल घाटी में शनिवार देर रात प्रदर्शनकारियों ने चार और विधायकों के घर फूंक दिए। उन्होंने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के पैतृक आवास पर भी धावा बोलने की कोशिश की। हालांकि सुरक्षाबलों ने इस हमले को नाकाम कर दिया। वहीं हिंसक प्रदर्शन के बाद रविवार को स्थिति शांत, लेकिन तनावपूर्ण बनी रही। घाटी में अनिश्चितकाल के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया है।
प्रदर्शनकारियों ने इससे पहले तीन मंत्रियों और छह विधायकों के घरों में तोड़फोड़, आगजनी की थी। प्रदर्शन और हिंसा का दौर शनिवार को तब शुरू हुआ जब मणिपुर के जिरीबाम जिले में अपह्त छह लोगों के शव बरामद हुए। ये छह लोग पिछले एक हफ्ते से लापता थे। मैतेई समुदाय का आरोप है कि उग्रवादियों ने अपहरण कर इन सभी की हत्या की।
मुख्य सड़क पर टायर जलाए : अधिकारियों ने बताया कि असम राइफल्स, बीएसएफ और राज्य बलों सहित सुरक्षाकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले और रबर की गोलियां चलाईं और मुख्यमंत्री के घर को नुकसान पहुंचाने की कोशिश को नाकाम कर दिया। बाद में गुस्साई भीड़ ने बीरेन सिंह के आवास की ओर जाने वाली मुख्य सड़क पर टायर जलाए और वाहनों की आवाजाही रोकने के लिए लोहे की रोड बिछा दी। मुख्यमंत्री के पैतृक घर से करीब 3-4 किलोमीटर दूर मंत्रिपुखरी इलाके में रात करीब 11 बजे तक विरोध-प्रदर्शन हुआ।
इंफाल घाटी के नागरिक समाज संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाली शीर्ष संस्था ‘मणिपुर अखंडता पर समन्वय समिति’ (सीओसीओएमआई) ने उग्रवादियों पर 24 घंटे के भीतर सैन्य कार्रवाई करने की मांग की है। सीओसीओएमआई के प्रवक्ता के. अथौबा ने सरकार से अफस्पा (सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम) को तत्काल हटाने की मांग की। इसे हाल ही में छह पुलिस थानों के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में पुनः लागू किया गया है।