हल्द्वानी। सीमांत में सेना भर्ती के दौरान हुई भगदड़ और अव्यवस्था के लिए जिला प्रशासन ने सेना को जिम्मेदार ठहराया है। इस बारे में गुरुवार को प्रशासन ने बयान जारी किया। आरोप लगाते हुए कहा कि सेना के स्तर से अनिर्णय की स्थिति और दानापुर (बिहार) में होने वाली यूपी के अभ्यर्थियों की भर्ती अचानक निरस्त होने से हालात बिगड़े।
डीएम विनोद गोस्वामी ने बताया कि पिथौरागढ़ में प्रादेशिक सेना की भर्ती की तैयारियों के संबंध में आठ नवंबर को बैठक हुई थी। प्रशासन को अवगत कराया गया था कि टेरिटोरियल आर्मी की भर्ती सागर (मध्य प्रदेश), दानापुर (बिहार) और पिथौरागढ़ में आयोजित होनी है। प्रशासन को बताया गया था कि अन्य राज्यों के लिए निर्धारित तिथियों में अभ्यर्थियों की भीड़ कम रहेगी लेकिन उत्तराखंड के लिए निर्धारित तिथियों में अभ्यर्थियों के अधिक संख्या होने की संभावना है। यूपी के लिए निर्धारित तिथियों को विशेषकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के युवा यहां आ सकते हैं। इसके लिए अतिरिक्त व्यवस्थाओं की आवश्यकता होगी।
डीएम ने बताया कि 11 नवंबर को अतिरिक्त बसों की व्यवस्था के लिए उत्तराखंड परिवहन निगम और परिवहन विभाग से अनुरोध किया गया था। इस बीच दानापुर में उत्तर प्रदेश के अभ्यर्थियों के लिए जो भर्ती होनी थी, उसे 17 नवंबर को अचानक निरस्त कर दिया गया। इसकी सूचना जिला प्रशासन को पत्र के माध्यम 18 नवंबर को मिली। डीएम ने कहा कि सेना के अधिकारियों ने इस संबंध में न कोई फोन किया और न ही ई-मेल संदेश भेजा। बिहार में होने वाली भर्ती निरस्त होने से यूपी के जो अभ्यर्थी दानापुर में हिस्सा लेते, वह भी यहां पहुंच गए। डीएम ने कहा कि दानापुर में भर्ती निरस्त करने की सूचना प्रशासन को यदि समय से दी जाती तो युवाओं को इस तरह असुविधा नहीं होती। साथ ही दानापुर भर्ती के लिए तिथियों का पुनर्निर्धारण निरस्त करते समय ही कर लिया जाता तो युवा पिथौरागढ़ के लिए प्रस्थान ही नहीं करते। तिथियों के पुनर्निर्धारण की सूचना प्राप्त होने पर बड़ी संख्या में अभ्यर्थी मैदानी क्षेत्रों से वापस भी हुए हैं। डीएम ने कहा कि यह स्पष्ट है कि सेना के अचानक अन्य क्षेत्र की भर्ती निरस्त करने से अभ्यर्थियों के पिथौरागढ़ की ओर अत्यधिक संख्या में प्रस्थान करने के कारण यह स्थिति पैदा हुई। उधर, मामले में सेना का पक्ष भी जानने की कोशिश की गई लेकिन किसी सक्षम अधिकारी से संपर्क नहीं हो सका।