One Nation One Election Bill against the Constitution: Opposition

एक देश एक चुनाव विधेयक संविधान के खिलाफ : विपक्ष

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नई दिल्ली। लोकसभा में एक देश एक चुनाव से सबंधित विधेयकों को पेश किए जाने का कांग्रेस सहित लगभग सभी विपक्षी दलों ने विरोध किया। इस मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए उन्होंने विधेयकों को संविधान और संघीय ढांचे के खिलाफ बताया। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि यह सदन के विधायी अधिकार क्षेत्र से परे है। भारत राज्यों का संघ है और ऐसे में केंद्रीकरण का यह प्रयास पूरी तरह संविधान विरोधी है। सरकार से विधेयक को वापस लेने का आग्रह करते हुए उन्होंने कहा कि संविधान के तहत ससंद को इस तरह के कानून बनाने का अधिकार नहीं है। वहीं, डीएमके सांसद टीआर बालू ने सरकार के पास दो तिहाई बहुमत नहीं होने का मुद्दा उठाते हुए विधेयक को जेपीसी के पास भेजने की मांग की। सपा के धर्मेंद्र यादव ने इन विधेयकों को संविधान की मूल भावना को खत्म करने का प्रयास करार देते हुए तानाशाही की तरफ ले जाने वाला कदम बताया। कहा कि सरकार चार राज्यों के चुनाव एक साथ नहीं करा पाती है और लोकसभा और सभी विधानसभाओं के साथ चुनाव की बात कर रही है। इसलिए, विधेयक को वापस लिया जाना चाहिए। तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने कहा कि यह संसद के कानूनी अधिकार से परे है। विधेयक अस्वीकार्य करार देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य विधानसभाएं केंद्र और संसद के अधीनस्थ नहीं होती हैं। जिस तरह से संसद को कानून बनाने का अधिकार है, उसी तरह विधानसभाओं को भी है। कहा, यह विधेयक चुनावी सुधार नहीं, बल्कि एक व्यक्ति की महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए लाया गया है। शिवसेना (यूबीटी) के सांसद अनिल देसाई ने विधेयक का विरोध करते हुए दलील दी कि यह संघवाद पर सीधा हमला है। इसमें राज्यों के अस्तित्व को कमतर करने का प्रयास किया गया है। उन्होंने चुनाव आयोग को दिए गए अधिकारों पर भी सवाल उठाए। कहा कि महाराष्ट्र चुनाव का उदाहरण हमारे सामने है। उस परिणाम को स्वीकार्य नहीं किया जा सकता है। लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने विधेयकों को संविधान और नागरिकों के वोट देने के अधिकार पर आक्रमण करार दिया। कहा कि चुनाव आयोग की सीमाएं अनुच्छेद 324 में निर्धारित हैं। पर इन विधेयकों के जरिये सरकार आयोग को बेतहाशा ताकत दे रही है। यह किसी भी लोकतांत्रिक देश के लिए ठीक नहीं है। एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने इसे संघवाद के खिलाफ बताया। कहा कि संसद को ऐसा कोई कानून बनाने का अधिकार नहीं है, जो मौलिक अधिकारों के खिलाफ है। उन्होंने दावा किया कि यह क्षेत्रीय दलों को खत्म करने के लिए उठाया गया कदम है। एनसीपी (एसपी) सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों के कार्यकाल को एक दूसरे से जोड़ना उचित नहीं है। आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन ने आरोप लगाया कि विधेयक संविधान में निहित संघवाद के मूल ढांचे पर हमला है। माकपा के अमरा राम ने भी विधेयक का विरोध किया।

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