उत्तराखंड में सख्त भू-कानून लागू, अब भूमि खरीद पर कड़ी निगरानी

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हल्द्वानी | गौरव जोशी
उत्तराखंड विधानसभा में शुक्रवार को उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) संशोधन विधेयक-2025 पारित हो गया। इस विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की विपक्ष की मांग अस्वीकृत कर दी गई। अब इसे मंजूरी के लिए राज्यपाल को भेजा जाएगा। सीएम धामी ने कहा कि 2003 से अब तक दी गई 1883 मंजूरी में से 572 मामलों में भू-कानून के उल्लंघन की पुष्टि हुई। सरकार ने करीब 150 बीघा भूमि को जब्त कर यह संदेश दिया है कि कानून का सख्ती से पालन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह कानून जनभावनाओं के अनुरूप लाया गया है और भूमाफियाओं पर सख्ती से रोक लगाने के लिए उठाया गया कदम है।

Uttarakhand Tightens Land Laws: Stricter Regulations on Land Purchase


मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सदन में कहा कि प्रदेश की डेमोग्राफी और मूल स्वरूप को बनाए रखने के लिए यह कानून जरूरी था। नए संशोधन के तहत प्रदेश के 11 पहाड़ी जिलों में कृषि और उद्यान के लिए जमीन खरीदने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। साथ ही, साढ़े 12 एकड़ से अधिक भूमि खरीद पर भी रोक होगी।
हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर में भी अब सरकार की अनुमति के बिना भूमि खरीद संभव नहीं होगी। वहीं, नगर निकाय से बाहर 250 वर्ग मीटर से अधिक जमीन खरीदने के लिए झूठा शपथ पत्र देने पर सरकार जमीन को जब्त कर सकेगी। सीएम धामी ने बताया कि अब जिलाधिकारी स्तर पर भूमि खरीद की स्वीकृति समाप्त कर दी गई है। निवेशकों को भी भूमि अनिवार्यता प्रमाण पत्र (Land Requirement Certificate) के आधार पर ही जमीन खरीदने की अनुमति मिलेगी। अगर कोई व्यक्ति तय प्रयोजन से अलग भूमि का उपयोग करेगा, तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की मांग करते हुए कहा कि इस संशोधित कानून में कई खामियां हैं। उन्होंने तर्क दिया कि इससे तराई क्षेत्र की भूमि संकट में आ जाएगी। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री एन.डी. तिवारी सरकार के भू-कानून को पूरी तरह लागू करने की वकालत की। हालांकि, सदन में विपक्ष का यह प्रस्ताव गिर गया और विधेयक ध्वनिमत से पारित हो गया।

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