नई दिल्ली, एजेंसी। प्रसिद्ध उर्दू कवि गुलजार और संस्कृत विद्वान जगद्गुरु रामभद्राचार्य को 58वें ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है। ज्ञानपीठ चयन समिति ने शनिवार को इसका ऐलान किया। ज्ञानपीठ चयन समिति ने बयान जारी कर बताया कि पुरस्कार वर्ष 2023 के लिए दो भाषाओं के प्रतिष्ठित लेखकों को देने का निर्णय लिया गया है। मालूम हो कि वर्ष 2022 के में यह पुरस्कार गोवा के लेखक दामोदर मावजो को दिया गया था।
गुलजार हिंदी सिनेमा में अपने काम के लिए पहचाने जाते हैं और वर्तमान समय के बेहतरीन उर्दू कवियों में शुमार हैं। इससे पहले उन्हें उर्दू में अपने कार्य के लिए 2002 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, 2013 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार, 2004 में पद्म भूषण और कम से कम पांच राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुके हैं। गुलजार का जन्म 18 अगस्त 1934 को झेलम जिले के दिना में हुआ था जो अब पाकिस्तान में है। वर्ष 2013 में असम यूनिवर्सिटी का कुलपति नियुक्त हुए थे।चित्रकूट में तुलसी पीठ के संस्थापक और प्रमुख रामभद्राचार्य प्रसिद्ध हिंदू आध्यात्मिक गुरु, शिक्षक और 100 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं। उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में 14 जनवरी 1950 को जन्म हुआ था। जीवनी के अनुसार जब वे दो माह के थे तब उनकी देखने की क्षमता चली गई। इसके बाद उन्होंने दुनिया को दिव्य दृष्टि से देखना शुरू दिया। स्वामी रामभद्राचार्य ने बचपन से लेकर अबतक पूरे राम चरित्र मानस का चार हजार बार पाठ किया है। स्वामी रामभद्राचार्य 22 भाषाएं बोलते हैं। वे संस्कृति, हिंदीख् अवधी और मैथिली समेत कई भाषाओं में कविता लिखते हैं। वर्ष 2015 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। रामभद्राचार्य वर्ष 1982 से जगद्गुरु पद विराजमान हैं। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित होने वाले को 21 लाख रुपये का नकद पुरस्कार और वाग्देवी का मूर्ति को दिया जाता है। वर्ष 1944 में इस पुरस्कार की शुरुआत हुई थी।